02-20-2021, 08:57 AM,
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Intimate Partners अंतरंग हमसफ़र
अंतरंग हमसफ़र 01
मेरे अंतरंग हमसफ़र ये कहानी का ही अगला भाग हैl
[url=https://sexbaba.co/Thread-%E0%A4%9D%E0%A4%9F-%E0%A4%AA%E0%A4%9F-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4?pid=179521#pid179521][/url]
दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।
दोस्तों मैं दीपक कुमार, मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl
मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँl अठारह साल की उम्र तक मेरी देखभाल करने वाले भी पुरुष नौकर ही थेl हालाँकि, मेरे पिताजी की एक से अधिक पत्निया रही है और मेरी कुछ सौतेली बहने भी हैं, पर मुझे हमेशा उनसे दूर ही रखा गया थाl यहाँ तक की मेरी अपनी माँ के अतिरिक्त किसी महिला से कोई ख़ास बातचीत भी नहीं होती थीl
मेरा स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था जिसमे कोई महिला टीयर भी नहीं थीl मुझे कभी भी लड़कियों की संगत करने की अनुमति नहीं थी, गर्लफ्रेंड तो बहुत दूर की कौड़ी थीl
स्कूल ख़त्म करने के बाद और फाइनल पेपर देने के बाद, मैं अपनी उपरोक्त परवरिश और स्वभाव के कारण, मैं अपने जीवन की नीरस दिनचर्या से बहुत विचलित हो गया थाl मुझे यक़ीन होने लगा था कि इस तरह मैं अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकताl मुझे दिनचर्या में बदलाव की बहुत सख्त ज़रूरत महसूस हो रही थीl
जब मेरे सब पेपर ख़त्म हो गए तो मैंने अपनी सभी किताबों को एक कोने में रख कर, अपने पहली मंजिल पर स्तिथ अपने कमरे से निकल कर, घर से बाहर घूमने जाने के लिए फटाफट नीचे उतरा, तो दरवाजे पर मुझे मेरे पिता जी मिल गएl
उनके साथ मेरे फूफा रोज़र अपने दो बेटों, रोबोट (बॉब) और टॉम मिलेl दोनों मेरी ही उम्र के थेl उन्हें आया देख, मैं बहुत खुश हुआl मुझे लगा अब इनके साथ मैं अपनी दिनचर्या को बदल कर, खूब खेलूंगा, मस्ती करूंगा. और अपनी बोरियत दूर कर सकूंगाl
उसी दिन, मेरे पिता ने मुझे बताया कि वह और मेरी माँ वह कुछ दिन के लिए कुछ जरूरी काम के सिलसिले में विदेश (इंग्लैण्ड) जा रहे हैं, और उनकी अनुपस्थिति में, मुझे अपने फूफा के साथ यहीं रहना था और एक या दो सप्ताह के लिए हमारे पास यहाँ रहने के बाद मेरे फूफा और फूफेरे भाई गाँव में जाएंगेl
अगले दिन मेरे पिता ने विदेश जाने से पहले, मुझे कुछ जरूरी परामर्श दिए और किन-किन चीजों का ख़्याल रखना हैं, उनके पीछे से क्या करना हैं, क्या नहीं करना हैं, कैसे करना हैं, सब समझायाl मुझे प्यार और आशीर्वाद देने के बाद, मेरे पिता और माँ लंदन रवाना हो गएl
मेरे फूफेरे भाई, रोबोट (बॉब) और टॉम, से मेरी अच्छी बनती थीl मेरे फूफा, रोबोट (बॉब) और टॉम अंग्रेज थेl रोबोट (बॉब) और टॉम दोनों, लगभग हर साल कुछ दिन के लिए हमारे पास रहने लन्दन से आते थे और मुझे उनके साथ खूब मज़ा आता थाl परन्तु बॉब और टॉम की बहने भी, जब हमारे घर आती थी मुझे उनसे दूर ही रखा जाता थाl
बॉब और टॉम दोनों पहले जब भी मिलते थे. तो दोनों बहुत सीधे और सरल लड़के लगते थे, लेकिन इस बार दोनों बहुत शैतान या यूँ कहिये बदमाश हो गए थेl
मुझे अब वह दोनों, दो ऐसे जंगली घोड़ों जैसे लगते थे, जिन्हे सीधे सादे निवासियों पर खुला छोड़ दिए गया होl शैतानी करने के बाद पकड़े जाने पर, सब बात मुझ पर डाल कर, दोनों ख़ुद साफ़ बच निकलते थेl दोनों सभी प्रकार के कुचक्रों बनाने में बहुत निपुण और विद्वान साबित होते थेl
बॉब और टॉम को एक तरह से पूरी छुट मिली हुई थी, क्योंकि मेरे फूफा, जिन्हें कुछ व्यावसायिक और अन्य व्यस्तता के कारण, हमारे आचरण की देखभाल निगरानी करने का समय नहीं था, इसलिए वह दोनों दिन भर उछल कूद मचाते रहते थेl उनकी शरारते देख कर मैं भी मजे लेता रहता था और कभी-कभी उनके साथ मैं भी धमा चौकड़ी मचा लेता थाl
फिर दो दिन बाद फूफाजी, हम तीनो को साथ लेकर गाँव में हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर चले गएl वहाँ पर भी बॉब और टॉम की उछल कूद जारी रही, क्योंकि फूफा ज़मीन जायदाद के सारे मसले देखने में ही व्यस्त रहते थेl मैं भी उनमें जाने अनजाने शामिल रहता था, इसलिए कोई भी नौकर चाकर डर के मारे बॉब और टॉम की शिकायत नहीं करता थाl अगले दिन फूफा किसी काम से पास के गाँव में अपने किसी मित्र से मिलने चले गए और हमें पता चला वह आज रात वापिस नहीं आएंगेl
हालांकि, पिछले तीन दिनों के दौरान जब मेरे फूफेरे भाई मेरे साथ थे, उन्होंने भद्दे-भद्दे चुटकुले और असभ्य बातचीत करके, लड़कियो के पवित्र होने की जिस अवधारणा के साथ मेरी माँ ने मुझे पाला था, मेरी
सभी उन पूर्वधारणाओं को उखाड़ फेंका थाl
हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर में हम सब के ठहरने के लिए अलग-अलग, बड़े-बड़े आलीशान कमरे थेl शाम को मैं बॉब की तलाश में मेरे फूफेरे भाई बॉब के कमरे में गया, दरवाज़ा खोलने पर, मैंने जो कुछ देखा, उस पर मैं पूरी तरह से चकित रह गयाl वहाँ बिस्तर पर टॉम लगभग नंगा एक बेहद खूबसूरत भगवान की बनाई हुई लाजवाब मूर्ति के जैसी, गोरी, गुलाबी गालों वाली कमसिन लड़की की बाँहों में खोया हुआ था, जिसके कपड़े हमारी नौकरानियों जैसे थेl
जब मैंने कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ बॉब उस खूबसूरत कन्या के ऊपर एक तंग अंतरंग आलिंगन में जकड़ा हुआ लेटा हुआ था l लड़की की लम्बी खूबसूरत सफेद टाँगों का एक जोड़ा उसकी पीठ के ऊपर से पार हो गया थाl उनके शरीर की थिरकन, हिलने और स्पीड को देखकर मुझे लगा कि वे दोनों असीम आनंद ले रहे हैं, जो उनके लिए पूरी तरह से संतोषजनक थाl दोनों उस आनंद दायक क्रिया में इस तरह से डूबे हुए थे, कि उन्हें मेरे आने का कुछ पता नहीं चला, यहाँ तक के ये भी नहीं मालूम हुआ कि कब मैंने उस कमरे में प्रवेश किया हैl
कहानी जारी रहेगीl
आपका दीपक l
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02-21-2021, 11:11 AM,
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RE: Intimate Partners अंतरंग हमसफ़र 2
Intimate Partners अंतरंग हमसफ़र भाग 02
अंतरंग हमसफ़र मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl
दोस्तों मैं दीपक, आपने मेरी कहानी 'अंतरंग हमसफ़र-1' में पढ़ा, मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को एक लड़की के साथ अंतरंग हालात में देखाl
अब आगे-
बिस्तर पर दोनों को इस तरह से अंतरंग हालात में देखकर मैं इतना चकित हो गया कि, मैं दरवाजे पर खड़ा उन्हें तब तक देखता रहा, जब तक कि बॉब ने हिलना बंद नहीं कर दियाl उसके बाद बॉब कुछ देर शांत होकर उस खूबसूरत लड़की के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा, फिर उसेने ख़ुद को लड़की से दूर कर लियाl
वह उठा, उसकी पीठ मेरी तरफ थी, जबकि, वह सुन्दर खूबसूरत अधनंगी लड़की अभी भी अपनी आँखें बंद करके लेटी हुई थीl उसका पेटीकोट और कमीज ऊपर की और था, जिससे उसके बड़े-बड़े सुडौल स्तन मुझे ललचा रहे थेl लड़की का बदन, इतना सुन्दर, खूबसूरत, और आकर्षक उत्तेजक होता है, ये मुझे उस दिन ही पता चला था।
उस लड़की की टाँगे खुली हुई थीl वह हिली, और उसने अपनी जाँघों को अलग कियाl मेरी आँखे उसके सुन्दर गोर सुडौल बदन को टकटकी लगा कर देखने लगी, और मैंने उसके गोल सफेद सपाट पेट का मुआयना कियाl लड़की के नीचे के हिस्से और दोनों जाँघों के बीच की जगह को गहरे काले घुँघराले बालों ने छुपाया हुआ था।
मैंने ऐसा अकसर लड़कों से सुना था, लेकिन पहले कभी नहीं देखा थाl मैंने काले घुंघराले बालों के ताले के बीच छीपी हुई योनि की पहली झलक देखी। उसकी जाँघों के खुलने से मैंने घुंघराले बालों के बीच छीपी हुई उस शानदार गुफा, जो की एक गर्म-गर्म भट्ठे की तरह थीl उसके बीच के चीरे के आसपास दो मोटे और रसीले होंठों के बीच थोड़ा-सी खुली हुई थीl योनि मे से थोड़ा-सा सफेद दिखने वाला झाग निकल रहा थाl
मैंने जो कुछ देखा उससे अजीब-सी भावनाएँ, मुझ में जग गई थींl
मैं उस खूबसूरत नज़ारे को और पास से देखने के लिए बिस्तर की ओर आगे बढ़ा। जिस क्षण मेरे क़दम की आवाज़ को सुना गया, उस लड़की ने ख़ुद को बेडकवर के नीचे छुपा लियाl बॉब पलटा और मुझे मिलने आया, और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मुझे बिस्तर तक ले गया, और कहा, -मेरे भाई दीपक तुमने क्या देखा है? आप कितने समय से कमरे में हैं? "
मैंने उसे बताया कि मैंने उनके पूरे पराक्रम और प्रदर्शन को देखा है।
जब तुमने सब देख ही लिया है, तो फिर केसी शर्म, कहते हुए बॉब ने उस लड़की का कवर उतार कर फेंक दियाl लड़की अपने स्तनों को एक हाथ से, तथा दुसरे हाथ से अपने चेहरे को छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी, और मैं उस खूबसूरती के मुजस्मे को घूरता ही रहाl मेरा हाथ अनायास ही मेरे लंड पर चला गया, जो की मुझे कड़ा होता हुआ महसूस हुआl
बाब ने लड़की को बैठे हुए मुद्रा में उठाते हुए, एक हाथ उसकी कमर पर लपेटते हुए कहा-" दीपक भाई!, क्या तुमने कभी किसी लड़की के संग का आनंद लिया है?
मैंने कहा "नहीं कभी नहीं"l
तो बॉब बोला तुमसे बातें करते हुए, मुझे कुछअंदाजा तो था, के तुम इस मामले में बिलकुल अनारी होl
तुमने एक सुंदर लड़की को बांहों में लेकर प्यार करने से प्राप्त होने के लिए सुख का स्वाद कभी नहीं लिया हैंl तुम्हें नहीं पता इस आनंद के आगे दुनिया के सभी सुख और आनंद फीके हैंl तुम ये भी नहीं जानते, कि एक खूबसूरत लड़की की बाहो में खो जाना उसे हासिल कर लेना, उसे प्यार करना, और उसका प्यार पाने के प्रलोभन का विरोध कर पाना, एक पुरुष के लिए कितना कठिन हैl पुरुष अपनी पूरी शक्ति और साधन का उपयोग करके, एक खूबसूरत स्त्री को हासिल करने के लिए अपना सब कुछ भी दाव पर लगा देता हैl इस शारीरिक भूख को रोक सकने की शक्ति बहुत कम लोगों में होती हैl
फिर उस लड़की का हाथ पकड़ कर चूमते हुआ बॉब बोला-ऐसा कौन है, जो ऐसी सुंदर, प्यारी, और आकर्षक हुस्न की मालकिन हसीना को इनकार कर सकता हैl मैं क्या चीज हूँl इन्होंने मुझे कल रात अपने कक्ष में मुझे आमंत्रित किया था, लेकिन मैं इंतज़ार नहीं कर सकाl मैंने आज ही इसे अपने कक्ष में आमंत्रित कर इनके शिष्टाचार का जवाब दिया, जो इन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया, और ये सब उसी का नतीजा हैl "
वह खूबसूरत हसीना जिसे मैंने पहले बार बेपर्दा देखा था, वह रूबी थी l बॉब ने मुझ से पूछा "क्यों भाई ये बहुत आकर्षक और खूबसूरत है न?"
तो मैंने उत्तर दिया, "हाँ, बेशक, ये बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है"l लिंगों के संयोजन से प्राप्त सुखों को प्राप्त करने की इच्छा महसूस करते हुए, मैंने अपने हाथ रूबी के नंगे घुटने पर रखे, जो अभी भी बिस्तर के किनारे पर बैठी थीl उसके कपड़े उसकी योनी और जाँघों को छुपाने की असफल कोशिश कर रहे थेl उसने अपनी क़मीज़ के नीचे खिसका दिया था, जो अपने नीचे उस खूबसूरत योनि की छुपाये हुई थीl
मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी रस भरी योनि की और बढ़ने लगा और मैं धीरे-धीरे रूबी को अपनी और खींचने लगाl
वही पता नहीं मुझे क्या हुआ के अनायास ही मेरे हाथ रूबी के घुटनों पर चले गए, और उसकी योनि की और बढ़ने लगे, लेकिन बॉब ने मुझे रोकते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो, मेरे भाई, लेकिन रूबी फिलहाल मेरी हैl कम से कम वर्तमान के लिए, लेकिन जैसा कि मैं देख रहा हूँ, कि आप प्रेम की देवी के रहस्यों में ख़ुद को डूबा देने के लिए उत्सुक हैं, तैयार हैंl मुझे लगता है कि रूबी की मदद से मैं आपको रात के लिए एक साथी खोजने में सक्षम हो सकता हूँl उसने रूबी की तरफ़ देखते हुए कहा क्या हम मेरे भाई के लिए एक साथी नहीं ढूँढ सकते?"
तो रूबी वहाँ एकदम से कूद कर अपने पैरो पर खड़ी हो गयी और मुसकुराते हुए बोली, बहुत बढ़िया "हम, महाशय दीपक को मेरी छोटी बहन रोज़ी से मिला देते हैं, और मुझे यक़ीन है कि मेरे ख़ुद की तुलना में रोज़ी बहुत सुंदर लड़की हैl कुमार दीपक, रोज़ी आपको बहुत अच्छी लगेगीl उसकी मुझ से बड़ी सुडौल और गोरे गोरी स्तन हैं"l उसने फुसफुसाते हुए मेरे फूफेरे भाई बॉब के कानों में कुछ कहाl
तो बॉब ने मुझे बधाई देते हुए कहा :मेरे भाई तुम बहुत क़िस्मत वाले हो तुम्हें बहुत बधाई!, अभी मुझे रूबी ने बताया है, तुम्हारी पहली साथी भी तुम्हारी तरह ही कुंवारी हैl मुझे रूबी ने भी मुबारक दी और अपनी गोल सफेद गोलाइयों की जोड़ी को कवर किया कहा, जिन्हे मैं अपनी आँखों से लालच से खा रहा था। "मुझे यक़ीन है, जब हम उसे आज रात लाएंगे तो आप रोज़ी से मिल कर प्रसन्न होंगे", रूबी बोलीl
तो मुझ से बॉब ने पूछा "तुम चुदाई के बारे में क्या जानते हो?" तो मेरा जवाब सुन कर वह बो बोला "तुम्हें बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा", और बोला "रूबी मेरी मदद करो दीपक को कुछ सेक्स सीखा देते हैं"l
बॉब बोला तो दीपक, तुम अब ठीक से चुदाई देख और सीख लोl
बॉब रूबी को किस करने लगा और उसके और अपने सारे कपडे उतार डालेl बॉब उसके बूब्स दबाने लगा, और रूबी उसके खड़े लण्ड को सहलाते हुए अपनी चूत पर घिसने लग गयीl
और फिर बॉब अपना लण्ड रूबी की चूत में घुसा कर दनादन धक्के लगाने लग गयाl फिर एक दो आसान बदले और कुछ देर बाद झड़ गया। उसके बाद, रूबी ने मुझ से वादा किया, कि वह रात को अपनी बहन को मेरे कमरे में ले आएगी, तो मैंने भी वादा किया, कि मैं भी उसका और बॉब का राज गुप्त रखूँगा, और जो मैंने देखा था उसका किसी से भी कोई जि़क्र नहीं करूंगाl मैं उन्हें वही छोड़ कर अपने कमरे की और जाने लगाl
बॉब रूबी के कान में कुछ फुसफुसाया और रूबी अपने कपडे उठा कर भाग गयी, और जाते हुए बोली रात के खाने के बाद मैं रोज़ी को ले कर आती हूँl बाद में बॉब ने मुझे सेक्स के बारे में कुछ और हिदायतें दी और सफ़ाई करने की जरूरी हिदायतें दीl उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और नहा धो कर सफ़ाई कर के जल्दी-जल्दी रात का खाना खायाl
रात को जल्दी से अपने कमरे में जाकर मैंने एक घंटा इंतज़ार के बुखार में बितायाl फिर रूबी मेरे कमरे में आयी और मुझ से बोली "आप कुछ देर के लिए अपने भाई बॉब के कमरे में चले जाओ, तब तक मैं आपका कमरा तैयार कर देती हूँl इतनी देर में रोज़ी भी आ जायेगी, फिर जब मैं बुलाऊंगी आप आ जाना"l
लगभग आधे घंटे बाद में रूबी मेरे पास आयी और मुझे मेरे कमरे में ले गयी वहां कमरे का नजारा बदला हुआ थाl बिस्तर फूलों से सजा हुआ थाl मेरे अंदर आते ही रूबी की बहन रोजी कमरे में दाखिल हुईl मैंने रोजी की तरफ हाथ बढ़ाया रोजी एक सबसे खूबसूरत लड़की थीl रोजी ने एक दुल्हन की गुलाबी पोशाक पहन रखी थीl
मैं रोजी को एकटक देखता रहा और जिस पल वह कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा बंद किया गयाl मैं आगे की ओर बढ़ गया, उसे अपनी बांहों में पकड़ लिया, और उसे एक सोफे पर ले गया, जहां मैं बैठ गया और उसे अपनी तरफ खींच लियाl रोजी ने एक दुल्हन की पोशाक में अपना चेहरा नक़ाब से ढक रखा थाl मैंने उसका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी जेब से एक अंगूठी निकाल कर उसे तोहफ़े के तौर पर दी, और उसे कहा ये हमारे पहले मिलन की निशानी के तौर पर तोहफा कबूल करो, मेरी रोज! उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और मैंने उसे अंगूठी पहना दीl
मैंने उसका नक़ाब हटाया और उसका खूबसूरत चेहरा देखकर मुझसे रुका न गया, और उसके होंठ चूमने लगाl मैंने वों रुमाल जो उसके स्तनों को ढक रहा था, उसके पिन को खोला, तो उसके बड़े गोल सुडौल उरोज मेरे सामने उजागर हो गएl मैं उसके स्तन चूमते हुए अपनी बांहों में फिर से उसे कस कर जकड़ लियाl मेरी निष्ठुरता और कुछ हद तक, अपने आप को मेरे आलिंगन से मुक्त करने के लिए रोजी संघर्ष करने लगी, और बोली प्लीज मुझे छोड़ दोl तब उस कमरे में मौजूद रूबी जिसे मैं लगभग भूल ही चूका था वह बोलीl
कुमार!! रोजी इससे पहले किसी पुरुष के साथ अंतरंग नहीं हुई है, और कुंवारी है, इसलिए आपको थोड़ी गंवार या अनारी लग सकती हैl लेकिन आपके साथ रहने के लिए बहुत इच्छुक और उत्साहित है, और वों आपको जरूर खुश करेगी, ऐसा मेरा यकीन हैl मुझे पक्का भरोसा है, वह आपकी सारी इच्छाएं पूरी करेगीl आप दोनों बहुत मजे करोगेl ये उसका पहली बार है, इसलिए थोड़ा आराम से और प्यार से कीजियेl
क्यों मेरी बहन रोजी क्या ऐसा नहीं है,?
जिस पर रोजी ने एकदम से जवाब दिया, "ओह! हां," दीदी, और मेरी छाती में अपना चेहरा छिपा लियाl कसम से, उसकी इस अदा पै, मैं एकदम फ़िदा हो गयाl उसका चेहरा ऊपर कर उसके माथे पर एक किस कियाl उसे अपनी छाती से लगा लिया, और बोला "मेरी जान! घबराओ मत अब आराम से करूंगाl. क्या करूँ तुम्हें देख कर मुझ से रुका ही नहीं जा रहा"l
रूबी ने मुझे बताया, चूंकि शराब जोश और हिम्मत को बढाती है, प्रेम की उत्तेजना को भी बढाती है, वह बोली वह मेरे लिए कुछ शराब ले कर आती हैl मैंने कहा रूबी तुम चिंता मत करो शराब हर कमरे में उपलब्ध है, क्योंकि मेरे पिताजी और फूफा सब शराब के शौकीन हैl
फिर वों रोजी से बोली. "कुमार को अच्छे से खुश करो मेरी बहन और उन्हें अच्छी शराब जितनी वों पी सके, उतनी पिलाओ और उनकी सब बात मानो"l फिर वह गयी और एक ट्रे में कुछ शराब के बोतल, केक नमकीन कुछ फल मिठाई इत्यादि ले आयीl मेरे पास आ कर, दो गिलासों में शराब डाल कर, मुझे एक छोटी बोतल देते हुए बोली मेरे कान में फुसफुसाई, "आप रोजी को शराब में इस ख़ास देसी दवा की कुछ बूंदे डाल दें और आपके गिलास में भी मैंने कुछ बूँद डाल दी है इससे आपका आनंद बढ़ जाएगाl फिर मजे करिये", और शुभ रात्रि बोल कर वह दरवाजा बंद कर चली गयीl
जब रूबी चली गयी, तो मैंने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, फिर एक टेबल को बिस्तर का पास खींचा, और रोजी को बिस्तर पर ले गयाl उसके पास बैठ कर, मैंने पहले बिना रोजी के साथ कोई स्वतंत्रता लिए,आगे धीरे- धीरे आगे बढ़ने का फैसला किया, और अपने सभी प्रयास आराम से करने का प्रयास कियाl मैं उसकी प्रशंसा करने लगा मैं उसे कहा,"तुम मुझे बहुत अच्छी लगीl तुम बहुत अच्छी हो!"
तो उसने शर्माते हुए पुछा, "आप को मुझ में क्या अच्छा लगा?", तो मैंने कहा, "तुम्हारे रस भरे ओंठ, मन करता है, बस इन्हें चूसता रहूँl"
वह बोली तो फिर किसने रोका है और मेरे ओंठों पर उसने अपने ओंठ रख दिए, और मैंने उसके रस भरे ओंठों पर चुम्बन कर दियाl ऐसे ही उसकी तारीफ करता रहा, और उसका पूरा चेहरा, गाल, नाक, माथा, और आँखे, धीरे-धीरे सब चूमते-चूमते चाट गयाl
कहानी जारी रहेगीl
आपका दीपकl
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02-22-2021, 11:41 AM,
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RE: Intimate Partners अंतरंग हमसफ़र 3
Update 3
अंतरंग हमसफ़र भाग 03
'अंतरंग हमसफ़र', मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl
दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग जीवन की हमसफर-1-2 में पढ़ा, किस तरह मैं मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को रूबी के साथ अंतरंग हालात में देखा,और किस तरह मैं रोज़ी से मिलाl
अब आगे:-
मैंने रोज़ी को शराब का गिलास दिया, तो वह बोली मैं शराब नहीं पीती, तो मैंने उसे एक घूँट पीने को कहा तो उसने पी लीl
रोज़ी बोली अब आप पीओ, तो मैं पहले शराब का घूँट भरता फिर अपने होंठ उसके ओंठों से लगा कर, उसे अपने ओंठों से शराब पिलाने लगाl इस तरह मैंने उसको कुछ गिलास शराब पिलाई और उसके साथ मैंने ख़ुद भी शराब पीl
कुछ देर बाद ख़ास उत्तेजक दवा और दारू का दोनों पर असर हो गयाl अब उसके चरित्र की स्वाभाविक जीवंतता, उसके खुले, और मुक्त वार्तालाप में दिखाई देने लगीl
मैंने उससे पुछा 'थकी हुई तो नहीं हो, सोना या आराम करना तो नहीं चाहती?'
तो वो बोली 'इतनी हसीं रात सोने के लिए तो नहीं होगी और फिर इस रात का इंतजार तो हर लड़की को रहता हैl हर लड़की की चाहत होती है, कोई चाहने उसे जी भर कर, बहुत सारा, प्यार करेl '
मैंने फिर उसे कहा, 'रोज़ी! तुम बेहद सुन्दर हो और आज मैं तुम्हे बहुत प्यार करने वाला हूँ 'l
तो उसने कहा 'आपको मेरा क्या सबसे सुन्दर लगता है?' तो मैंने कहा उसका हर अंग बेहद सुन्दर है और मुझे प्रिय है तो वह बोली तो सबसे ज्यादा क्या प्रिय है?
मैंने उसकी कमर और गर्दन के चारों ओर अपनी बाँहों को रखा, और उसकी छाती को अपने छाती के पास दबाने लगा, और एक हाथ उसकी छाती पर फिराते हुए, उसके मुलायम बदन को महसूस करने लगा, और उसके गोल-गोल बूब्स को सहलाने लगाl
तो उसने फिर पूछा कौन-सा अंग सबसे सुन्दर लगा, तो मैंने कहा वही तो जांच रहा हूँl तो वह बोली सिर्फ़ जांचेंगे या देखेंगे भी? उसका ये सुनने के बाद, मेरे ओंठ उसके ओंठों से जुड़ गए, और लगभग 10-15 मिनट मैं उसे किस करता रहाl इस बीच मेरे हाथ, उसकी दुल्हन के पोशाक के ऊपर से ही उसके पूरे बदन को सहला और दबा रहे थे l उसके बड़े-बड़े उरोज मुझे ललचा रहे थे, तो मैंने पीछे से उसकी ड्रेस की डोरिया खींची, और उसके स्तन बाहर निकाल कर उन्हें पहले चूमा, फिर मसला दबाया, और चूस-चूस कर दोनों स्तन लाल कर दिए l वाह! क्या बड़े-बड़े गोल सुडौल स्तन थेl
इस तरह, उसकी स्तन दबाने के बाद मैं रुक गया, और धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ, उसके क़मीज़ के नीचे से एक हाथ डाला, उसके कपड़े उसके घुटनों पर चढ़ा दिए। उसकी टाँगों और जंघा को सहलाते फिर उन्हें निचोड़ने लगाl उसके पैरों के साथ खेला, मैंने अपना हाथ उसकी जाँघ पर तब तक सरकाया, जब तक कि मेरी उंगलियाँ उसकी कुंवारी चुत के द्वार पर नहीं पहुँच गई। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थीl उसके मुँह से इस्सस! निकली और मेरे ओंठ जोर से चूमने लगीl
रोजी की चूत बिलकुल सफाचट थीl बालों का नामों निशान नहीं था, बिलकुल मुलायम, चिकनी और नरमl जब मैंने हाथ फिराया, तो रोज़ी बोली दीदी ने आज ही साफ़ करवाई है, ख़ास आपके लिएl
उसकी रेशमी चूत से खेलते हुए अपनी उंगलियों को घुमाकर चूत के मध्य के लकीर पर फेरते हुए, अपनी उँगली को उनके बीच से घुमाते हुए, मैंने अपनी एक उंगली को थोड़ा नीचे ले जाते हुए, उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए, हलक़े से गांड में पिरो दियाl
वों कराह उठी, आह! आह! प्लीज यहाँ नहीं l दीदी कहती है यहाँ बहुत दर्द होता है l
मैंने फिर दुबारा उसकी योनि के होंठों के बीच उँगली की नोक डालते हुए, उसकी चूत के दाने को ढूँढ लियाl मैंने उसे इतनी अच्छी तरह से छेड़ा कि वह अपनी जगह पर उछलने लगी, और बोली अब इंतज़ार नहीं होता प्लीज अब कुछ करोl मैं इसे अब बर्दाश्त नहीं कर सकती । मैं आग पर था; मेरी नसों में से खून उबल रहा था। मेरा लंड फुल टाइट हो गया था।
मैंने उसे ज़मीं पर पैरों पर खड़ा किया और उसके कपडे उतारना शुरू कर दिया। मैंने जल्दबाजी में उसके कपड़े फाड़ दिए, और उसे पूरी नंगी कर दियाl मेरे लिए किसी लड़की को पूरा नंगा देखने का ये पहला मौका थाl मेरे सामने सचमुच अद्भुत नजारा थाl वाह भगवान्! हुस्न का क्या शानदार नजारा थाl
मेरी आँखे के सामने गोल सुदृढ़ सुडौल स्तन, गोरा मख़मली बदन, पतली बल खाती कमर, सपाट पेट, सुन्दर नैन नक्श, मीठी आवाज़, बड़ी-बड़ी हिरणी जैसी चंचल आँखे, गुलाबी होंठ, हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल, नरम चूतड़ और उसका फिगर 34-24-36 का थाl तीखी नुकीली नाक, बड़े गोल नितम्ब, लंबी सुगढ़ टाँगे और सुन्दर हाथ, सब कुछ बेहद सुन्दरl पूरा शरीर सांचे में ढला हुआ, गोल बड़े-बड़े स्तनl मैं उन्हें दबाने लगा, तो कभी चूमने लगा, फिर उसके निपल्स को मुँह में ले कर चूसने लगाl उसे इस हालात में देख कर मैं सब भूल कर उसे जोर से काटने लगा तो वह ओह! आह! करने लगीl
उसकी ऐसे हालत देख मेरे भी लंड का तनाव इतना ज्यादा हो गया, मुझे लगा मेरा लंड, मेरे कपडे फाड़ कर बाहर निकल आएगा और फट जायेगाl
मैंने अपने सब कपडे ऐसे उतार फेंके, जैसे उनमे से कांटे चूभ रहे हो और पूरा नंगा होकर उसे पकड़ कर अपने शरीर से चिपका लियाl मैं उसका पूरा बदन महसूस कर रहा थाl
मेरा लंड उसकी चूत के द्वार पर अपना रास्ता खोजने लगाl
हम दोनों कामाग्नि में जल रहे थे l मैंने अपने हाथों से उसे अपने छाती पर दबायाl उसके स्तन कठोर हो मेरी छाती में चूभ रहे थेl उसने भी अपने हाथों से मेरी पीठ को अपने बड़े-बड़े स्तनों पर दबा दिया थाl तो मैं उसकेओंठों की किश करने लगा और मेरे हाथ उसके उसकी कमर पर फिसलते हुए रोज़ी के नितंबो की अपनी और दबाने लगेl ऐसा लग रहा था दोनों एक दूसरे में समां जाना चाहते होl
आकर्षित, उससे चिपका हुआ उसके नग्न शरीर को महसूस करते हुए, अपने घुटनों पर झुक कर, मैंने उसकी योनि पर प्यार भरे चुंबन कियेl मैं पूर्ण उन्माद में थाl मेरे चूमने से, वह भी जल बिना मछली के तरह तड़पने लगी, और बोली प्लीज अब रुका नहीं जा रहा कुछ करो, मेरे राजा l
और उसके शरीर को मेरा करने के लिए, मैंने कांपती हुई लड़की को अपनी बाँहों में उठाया और उसे बिस्तर पर ले गया।
मैंने आराम करने के लिए एक तकिया उसकी शानदार गोल गांड, नितम्बो के नीचे रखकर लेटा दिया। मैंने उसकी जाँघों को चौड़ा किया और लंड पूरा खड़ा था तो उसने एक बार अपना हाथ लंड पर फेरा, तो लंड जैसे उसके हाथ के छुअन से पूरा भड़क गयाl
रोजी बोली आपका लंड सचमुच काफ़ी बड़ा है l
मेरे लंड का साइज 7 इंच है, और उसकी चूत में जाने को लिए बिलकुल तैयार थाl मैंने उसकी चूत पर लंड को एक बार लगायाl उसकी चूत के दाने पर लंड को दो तीन बार रगड़ा, तो वह बोली प्लीज अब तडपाओ मतl
मुझे बॉब ने बताया था, रोज़ी कुंवारी हैl आराम से करना, थोड़ा दर्द होगा, जब वह पूरी तरह तैयार हो, उससे पूछ कर ही अंदर घुसानाl
मैंने लंड चूत पर घिसते हुए उससे पूछा, तुम तैयार होl
वह बोली हाँ जल्दी करो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहाl
मैंने कहा दर्द होगा तो वह बोली 'मैं सब सह लुंगी, तुम अब आ जाओ, मुझ में समा जाओ मैं सब सह लुंगी मुझे भी दीदी ने सब बताया थाl'
अपनी उंगलियों के अग्र भाग की मदद से साथ, मैंने उसकी टाइट चूत के होठों को बहुत मुश्किल से अलग किया और अत्यंत परेशानी के साथ अपने कुँवारे लंड के लुंडमुंड को उसके कुंवारी योनी के प्रवेश द्वार में डालl
जैसे ही मैंने महसूस किया कि लंड ठीक जगह रखा गया है मैंने थोड़ा जोर लगा कर लंड को चूत पर दबाया, लेकिन रोज़ी की चूत इतनी टाइट थी के लंड अंदर जाने की जगह वही से नीचे फिसल गयाl मैंने लंड को पकड़ा फिर चूत के द्वार पर घिसा और थूक लगा कर गीला कियाl मैंने दो तीन बार ऐसा किया पर अंदर जाने में सफलता नहीं मिलीl तो मैंने कहा रोज़ी लगता है, ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी, तुम तैयार हो, तो उसने आँखे झपक कर अपनी स्वीकृति दे दीl
फिर से चूत को हाथो से सहलाया चूत के दाने को लंड से मसला, फिर उंगलियों की मदद से ओंठो को फिर अलग किया, तो रोज़ी ने भी हाथ से मेरा लंड पकड़कर उसे अपनी चूत के छोटे से छेद पर लगा कर, अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्ब दबा कर इशारा किया, तो मैंने भी पूरे ज़ोर से एक धक्का दियाl
इस बार लंड चूत के अंदर जाने में कामयाब हुआl आधा लंडमुंड अंदर चला गया और साथ ही साथ रोज़ी की आह भी निकलीl उसने लंड को छोड़ा नहीं और पकडे रखाl उसने आँखे झपक कर मुझे इशारा कियाl इस बार मैंने लंड पर फिर लम्बे समय तक दबाब दियाl मेरे भयंकर दबाब देने से लंड को चूत के अंदर का रास्ता मिल गया और लंडमुंड का सर पूरा अंदर चला गया, मैंने एक बार फिर ज़ोर से धक्का दिया और मेरा लगभग आधा लंड चूत के झिली को चीरता हुआ रोज़ी का कुंवारापण भंग करता हुआ अंदर चला गयाl
उसकी चीख निकली, लेकिन न मैंने, और न ही रोज़ी ने उसे रोकने की कोई कोशिश करि l
रोजी की चूत बहुत टाइट थीl मुझे लगा कि मेरा लंड उस तंग गुफा में फंस गया हो, और चूत ने लंड को कस कर जकड लिया थाl मेरी भी चीख निकल गयी थीl
रोज़ी ने, न केवलअपने कौमार्य भंग में होने वाले दर्द को पूरी हिम्मत के साथ सहा था, बल्कि बाकायदा मदद करि थीl उसके हाथ मेरे शरीर को उसके पास ले जाते थे, यहाँ तक कि अपने कौमार्य को भंग करने के मेरे जानलेवा इरादों की सहभागी बनते हुए, रोज़ी ने मेरे लंड को भी अपने हाथो से संभाला थाl
वह हो रहे दर्द के मारे, होने वाले रुदन को दबाने के लिए, अपने दांतों के बीच बिस्तर की चादर रखते हुए,इस दर्द को सहने का पूरा प्रयास कर रही थीl
हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे 'ऊह्!, मर गएl' मुझे लंड पर गर्म-गर्म स्राव महसूस हुआl जैसा कि मुझे बॉब ने बताया था ये झिली फटने पर निकलने वाला खून था, इसके साथ ही मेरा भी कुंवारापण भंग हो गयाl इस तरह की रोज़ी की चूत की गुफा में मेरे लंड के लिए रास्ता बन गया थाl मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया और फिर एक ज़ोर दार शॉट लगा कर पूरा लंड जड़ तक अंदर पैबस्त कर दिया, और प्रेम के जलाशय ने रास्ता दे दिया और बाढ़ आ गयीl रोज़ी झड़ गयी और मेरा लंड रोज़ी के प्रेम के जल से भीग गयाl
उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा हैl मैंने रोज़ी को धीरे-धीरे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया, तो रोज़ी के आँखों में आंसू आ गएl वह बोली "आराम से धीरे-धीरे नहीं कर सकते थे क्या?" तो मैंने कहा "धीरे करने से अंदर ही नहीं जा रहा था इसलिए ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ा"l मैंने उससे पुछा बहुत दर्द हो रहा है क्या हाँ हो तो रहा हैl
मैं बोला-मेरी रोज़ी मेरी जान, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगाl वह बोली प्लीज अब तब तक मत हिलना जब तक मैं इशारा न करूनl
मैंने उसे लिप किस कियाl मैं उसे लिप किस करता रहाl मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दियाl तो मैंने अपने ओंठ उसके ओंठो से जोड़ कर उसे लिप किश करने लगा, और मेरे हाथ उसके बूब्स के साथ खेलने लगेl एक हाथ उसके निप्पल मसलने लगाl फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दीl वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगीl वो इस वक़्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकीl कुछ देर में रोज़ी का दर्द कम हो गयाl
फिर उसने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, और मेरे नितम्बो को अपने ऊपर दबाया, और पलके झपक कर मुझे इशारा कियाl मैंने धीरे से लंड भहर खींचा और
एक बार फिर ज़ोर लगा कर अंदर घुसा दियाl
मुझे महसूस हुआ, कि मेरे लिंग को रोज़ी ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था, जिसकी वज़ह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था।
वह भी मेरा साथ देने लगीl अब उसकी चुदाई में दोनों को जन्नत का मज़ा आ रहा थाl कुछ ही देर में रोज़ी ने भी स्पीड पकड़ ली थीl वह जोश में आ गई थी, और मेरे शॉट के साथ ताल मिलाते हुए, अपने नितम्ब हिलाने लगीl
अब वह मजे से चिल्लाने लगी थी-अहा! ... राजा ... मर गई ... आईसीई ... और ज़ोर से ... और ज़ोर से चोदो ... बहुत मज़ा आ रहा है, आ जाओ, मेरे अंदर समा जाओl मेरी चूत को अपने रस से भर दो, ... आआआआ और ज़ोर से ... उउउईईईई माँ ... आहहहांl
उसकी इन आवाजों ने मुझे जैसे जान दे दी होl मैं पूरी ताकत से रोज़ी को चोदने में लग गयाl कुछ ही मिनट बाद हम दोनों चरम पर आ गए थेl मैंने उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दियाl
मैंने उसकी फटी हुई कुंवारी चुत जिसमे से खून निकल रहा था, को अपने वीर्य से भर कर चिकनी कर दिया था, और उसके ऊपर ही गिर गयाl वह भी एकदम से झड़ कर मुझसे लिपट गई थीl
मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहाlकरीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थेl दो-तीन झटकों बाद मैंने लंड निकाल लियाl कुछ देर बाद जब हम लोग उठे, और चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ थाl वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गईl
चूँकि रोज़ी की ऐसी जबरदस्त चुदाई के बाद, जैसे मेरा सारा दम ही निकल गया हो, और मैं रोज़ी पर हांफते हुए तेज-तेज सांस लेते हुए, निढाल हो कर गिर गयाl भयंकर उत्तेजना के साथ चमकते हुए, मेरी आँखें रोज़ी को ही निहार रही थीl वह भी तेज-तेज साँसे ले रही थे, और उसके साथ ही उसके स्तन और निप्पल ऊपर नीचे हो रहे थेl जिन्हे देख कर मेरे लंड की कठोरता जो झड़ने के बाद हट गई थी, फिर से प्रबलता के साथ वापस आ गईl मैंने उसकी योनी के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे वीर्य ने चिकना कर दिया था, और मैंने फिर से उसके लिए रास्ता बनाना शुरू कर दियाl मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गयाl
तो रोज़ी मुझ से लिपट गयी और मुझे मेरे सारे बदन पर बेतहाशा चूमने लगी, और फिर उसके ओंठ मेरे ओंठो से जुड़ गएl रोज़ी मेरे ऊपर आ गई थींl मेरे खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थींl मुझे उस समय मुझे बेहद मज़ा आ रहा थाl वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वज़ह से लंड अन्दर बाहर हो रहा थाlवह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थींlसच कहो तो रोज़ी को मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत सेक्सी लग रही थl मैंने अपने चूतड़ उठा कर उसका साथ दियाl जब मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर पूरा समा जाता था, तो हम दोनों की आह निकल जाती थीl फिर मेरे हाथ उसके हिलते हुए मम्मों को मसलने लग गएl
उसके बाद रोज़ी मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. मैं उसको चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारे मुँह खुले गए, और मैं उसकी झीभ चूसने लग गयाl
फिर हम दोनों झड़ गए, इसी तरह बार-बार चोदते हुए, मैंने रोज़ी के साथ पूरी रात बिताई, कुंवारेपन के आकर्षण का पूरा आनंद उठाते रहेl हम दोनों ने अपने कुंवारेपन के भंग होने का जश्न, पूरी रात एक साथ पूरे मजे लेते हुए बार-बार लगातार हम चुदाई करते रहेl
कभी मैंने उसे चोदा, कभी उसने मुझेअपनी और खींच कर अलग-अलग आसान में चुदाई की, मानो अपनी कामाग्नि को शांत करना चाहते होl पर हर बार हमारी कोशिश नाकाम ही हुई और उसके बाद बहुत जल्द ही हम दोनों एक दुसरे को चूमते चाटते दुबारा शुरू हो जाते थेl थोड़ा-सा आराम करते, फिर से गले लगाते हुए, एक ख़ुशी के समुद्र में तैरते हुए एक दुसरे में खोये रहे। पता ही नहीं चला इस तरह प्यार करते-करते कब सुबह हो गयीl
सुबह जब उजाला हुआ, तो रोज़ी बिस्तर पर, मुझ से चिपक कर लेटी हुई थीl लगातार बार-बार चुदाई के कारण दोनों बुरी तरह से थक चुके थेl एक दुसरे के लिए आकर्षण और लगाव काम होने की जगह बढ़ गया थाl मुझे लग रहा था, मैं रोज़ी के बिना अब नहीं रह पाऊँगा, और चाहता था रोज़ी हमेशा मेरे पास रहे, और मैं उसे जब चाहू प्यार कर सकूl रोज़ी की आँखों में भी मुझे वही प्यार नज़र आया और मैंने रोज़ी को अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहो में समा गयी और अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा दियाl
उसने शुरू किया, "पिछली रात बहुत ख़ास थी। मैंने कभी भी किसी से इतना जुड़ाव महसूस नहीं किया हैl अपनी पहली चुदाई की रात से ही आपके के बारे में इतना मज़बूत लगाव महसूस किया है।" मैंने कुछ कहना शुरू किया, लेकिन रोज़ी ने उसे रोकने के लिए अपना हाथ रखाl
"यह कल रात एकदम सही था, कम से कम मेरे लिएl आपने मुझसे ऐसा प्यार किया और मुझे लगा कि हम दो बदन एक जान हैंl उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थेl कल रात, जब तुम मेरे पास आए, तो तुमने मेरे भीतर कुछ जागृत कियाl मुझे ऐसा लगा कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ"l मैंने कहा 'मेरा भी यही हाल हैl अब मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता'l ये कहते हुए रोज़ी के ओंठो पर किश किया, तो उसने भी वापिस किश कियाl
उसके छूते ही लंड महाराज फिर जोश में आने लगेl उसे धीरे से उसे उठाते हुए, लिप किश करते हुए हुए, मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दियाl उसके हाथ का स्पर्श मुझमें नए सिरे से आग लगा रहा थाl रोज़ी ने अपने हाथ में मेरा लिंग ले कर उसे सहलाया, तो मेरी आह निकल गयीl मैंने कहा अभी भी मैं और ये तुम्हे और प्यार करना चाहता हैl उसके छूने भर से मेरा लंड अपने विकराल आकार में आ गयाl
आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी...
आपका दीपक
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Yesterday, 11:42 AM,
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RE: Intimate Partners अंतरंग हमसफ़र 04
Update 04- रोज़ी के साथ मानसिक सेक्स.
अंतरंग हमसफ़र भाग 04
अंतरंग हमसफ़र 1-3 ', मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl
दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग जीवन की हमसफर-1-3 में पढ़ा, किस तरह मैं मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को रूबी के साथ अंतरंग हालात में देखा,और किस तरह मैं रोज़ी से मिला और हम दोनों ने एक साथ चुदाई करते हुए अपना कुंवारापन एक दूपसरे को समर्पित कर दिया l
अब आगे :-
रोजी बोली अब मुझ में भी और चुदाई की हिम्मत तो नहीं है मैं भी बुरी तरह से थक चुकी हूँl मेरी चूत भी एक दम से सूज गयी है और बहुत दुःख रही है, पर मन अभी नहीं भरा है और ऐसा ही हाल मेरे लंड का था। लेकिन फिर भी मैं उसे एक बार और चोदना चाहता था और जब मैंने उसे अंतिम बार एक बार मुझे चोदने के लिए सहमत कियाl बार बार लंड को चूत में अन्दर-बाहर करना, जैसे वो आम तौर पर संभोग के दौरान किया जाता है मुश्किल लग रहा था । मैंने सुझाव दिया कि हमें "अपने आप को एक संभोग के लिए सोचने की कोशिश करनी चाहिएl"
तो मैंने कहा ऐसा करते हैं, एक बार लंड अंदर घुसा लेने दोl ये अब तुम्हारी चूत से दूर नहीं रहना चाहता हैl इसके बाद मैंने अपने कठोर हो चुके लिंग को उसकी चूत के छेद पर रखा, और एक झटके पे पूरा का पूरा अंदर उतार कर योनि के अंदर गहराई से दफन कर दिया। और फिर, हम दोनों के शरीर एक दुसरे से लिपट गए और हमारी आँखें बंद थीl फिर मैंने रोजी से कहा, जो हम दोनों ने कल रात किया उसे एक बार फिर सब मानसिक तौर पर महसूस करते हुए मन ही मन दोहराओl फिर मैंने अपने दिमाग (अपनी खुद की यौन कल्पनाओं) का उपयोग करते हुए सब मानसिक तौर पर महसूस कियाl धीरे-धीरे मेरी मानसिक यौन उत्तेजना के उस बिंदु तक बढ़ गयाl जहां मैं संभोग का कारण बन गया मेरे मस्तिष्क की यही तरंगे रोजी ने भी महसूस करिl हम दोनों बिना अपने जननांग को धक्को द्वारा हिलाये सम्भोग करने लगेl
वास्तव में, जब रोजी मेरे साथ इस तरह से सम्भोग कर रही थीl मैं रोजी के साथ अपनी पहली चुदाई के पूरे घटना क्रम को मानसिक तौर पर दोहरा रहा था, और इससे अपनी मानसिक यौन उत्तेजना को इतने उच्च स्तर पर रखने में कामयाब रहाl रोजी से भी मैंने ऐसा ही करने को कहा कि रोजी को मैंने दो बार झड़ते हुए महसूस किया।
हालाँकि मुझे शुरू में अपनी यौन उत्तेजना का निर्माण करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन यह पता चला कि मैं वास्तव में "संभोग करने के लिए खुद को" सोच सकता था। और मैं ये सब कुछ देख सोच कर बहुत हैरान थाl
(अब हर चीज पर पीछे मुड़कर, मैं वास्तव में नहीं जानता कि मैं इस तथ्य से इतना हैरान क्यों था कि मेरे पास एक संभोग करने के लिए "खुद को सोचने" की क्षमता थी, क्योंकि मुझे पता था कि सेक्स शोधकर्ताओं ने हमेशा दावा किया था ,कि सेक्स वास्तव में 90% मानसिक और केवल 10% शारीरिक है।)
और आखिरकार उस दिन मैंने उस सुबह रोजी की चूत में अपना लावा जमा कर दिया, वो भी,एक बार भी, अपने लिंग को उसकी योनि में अंदर-बाहर किये बिना। अद्भुत यह मेरे और रोजी के सबसे लम्बे चलने वाले और कामुक यौन अनुभवों में से एक है।
वैसे, इस तरह से मानसिक सेक्स का मतलब का मतलब यह नहीं है पुरुष जानबूझकर योनि के अंदर घुसे हुए (गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ) अपने अन्यथा-स्थिर लिंग के सिर का विस्तार और अनुबंध नहीं कर सकता, जो की आगे लगभग हर बार मानसिक सेक्स करते हुए मैंने रोजी के साथ अक्सर कियाl इसी तरह रोजी भी मेरी हरकतों को महसूस करते हुए अक्सर मानसिक सेक्स के दौरान योनि के अंदर घुसे हुए कठोर लिंग को निचोड़ने और मालिश करने के लिए अपनी योनि में मांसपेशियों का उपयोग करती हैl यहां महत्वपूर्ण यही है की मानसिक सेक्स के दौरान हम जान बूझकर पैल्विक रॉकिंग या जननांग थ्रस्टिंग नहीं करते स्वाभिक तौर पर कुछ हो जाए तो उसे रोकते भी नहीं है।
उसके बाद अपना लिंग रोजी की योनि के अंदर दाल कर ही हम दोनों गहरी नींद में खो गए उसके बाद हमारी नींद तभी खुली जब बॉब ने हमारे दरवाजे पर दस्तक दी, तो हम मुश्किल से अपने आप को ठीक कर पाए। मैंने दरवाजे को तुरंत खोल दिया, और बॉब और रूबी अंदर आ गए। तो रूबी ने रोजी को बधाई दी और बॉब ने मुझे बधाई दी मैंने भी बॉब और रूबी का शुक्रिया अदा किया, के उनके कारण ही मुझे रोजी का साथ मिल पाया है, और मैं प्रेम की दिव्य कला के रहस्यों को जान पाया थाl
फिर मैंने जब तक गाँव में रहे, तब तक अपनी सारी रातें रोजी के साथ बिताईं, कभी-कभी उसके कमरे में में, फिर से मेरे अपने कमरे में कभी जब रात के इंतजार नहीं हो पाता था तो मैं उसे दिन में अपने कमरे में ले जाताl ये घर के किसी भी कोने में जहाँ हमे कोई नहीं देख रहा होता था और उसके साथ खूब आनंद लेता और रोजी भी हमेशा खुल कर मेरा साथ देती थी।
एक दिन, जब रोजी मेरे साथ मेरे कमरे में, बिस्तर पर लेटी हुई थी , उसके कपड़े ऊपर उठे हुए थे मेरा कठोर लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा थाl अचानक रूबी ने कमरे में प्रवेश किया, क्योंकि मैंने जल्दबाजी में दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया थाl
रूबी को मेरे खड़े लंड का एक अच्छा नज़ारा मिला, और वह इसे देख रहा थी, जाहिर तौर पर मेरे लंड के इसके इतने बड़े होने पर आश्चर्यचकित थी, लेकिन हम जिस हालात में थे उसे देख कर चुपचाप दरवाजा बंद कर चली गयीl
आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी
आपका दीपक
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